सप्त द्वीप वाक्य
उच्चारण: [ sept devip ]
उदाहरण वाक्य
- देहेऽस्मिन् वर्तते मेरुः सप्त द्वीप समन्वितः ।।
- यह रुद्राक्ष धारण करने से सप्त द्वीप दर्षन की इच्छा होने पर यात्रा सुगम होती है।
- सृष्टि की रचना, युग माहात्म्य, पशुपालन, सप्त द्वीप वर्णन, नदियों और पर्वतों के वर्णन, सोम की उत्पत्ति, तरह-तरह के दान-पुण्य की महिमा, सदाचारों और दुराचारों के फलस्वरूप स्वर्ग-नरक के वर्णन, पापों का प्रायश्चित्त करने की विधि आदि का विस्तृत वर्णन इस पुराण में किया गया है।
- रियाँ जब विभुमयी होकर दिशाओं में कुहक-सा पूरतीं नव चँवर लहराता चतुर्दिश घूमता पवमान चंचल मेघ-मालायें उढ़ायें बिजलियों से खचित आँचल, * ताप हरने के लिये भर-भर अँजलियाँ अर्घ्य का जल रजतवर्णी राशि हिम की कहीं,, मरुथल कहीं वनथल, सप्त द्वीप सुशोभिता, पयधार मय पर्वत अटल दृढ़ घाटियाँ,मैदान, सर, सरिता, सहित गिरि-शृंखला धर, * खग-मृगों से सेविता,गुँजित गगन रंजित दिशांगन, जन्म लेने जहाँ लालायित रंहे हरदम अमरगण.